Wednesday, January 26, 2011

माँ भारती को समर्पित





















धरती के ऐसे लाल कहाँ दुनिया में ऐसे मिलते हैं,
बस एक तिरंगे की खातिर सर्वश्व समर्पण करते हैं |
न कोई तिलक न कोई सुभाष दुनिया को मिल पाया है,
स्वर्श्व समर्पण करने को कोई भगत नहीं आया है |
माँ भारती तेरा अहो भाग्य ऐसे सपूत कण-कण में हैं,
दिल-ओ-जान लुटाने का जज्बा तेरे बेटे लिये नयन में हैं|
तेरा एक आँसूं काफी है दुनिया को आग लगा देगें,
कोई दामन को बस छु भर ले हम अपना शीश चढ़ा देंगें |

Monday, January 10, 2011

कसक सीने की ...

बड़े अरमान इस दिल में चाहे तुम हो या की हम,
जो शिद्दत से मिला था यार वो मुड़ जाये क्या होगा ?
मय्यसर नहीं सबको वो सारे ख्वाब वो सपने ,
कोई प्यासा नदी के सामने मर जाये क्या होगा ?
इन्ही नज़रों से ए साथी समझना सबको पड़ता है,
जो होठों से कहा जाये तो वो ज़ज्बात क्या होगा ?
जुब़ा महसूस करती है बयां आँखों से होता है ,
जो होठों से कहा जाये तो वो ज़ज्बात क्या होगा ?
लगे सीने के जख्मों पर ये दिल मायूस होता है ,
बिना बोले जो हो महसूस वो एहसास क्या होगा ?
तड़पना है सभी को इस धरा पर चाहे नर मादा ,
बिना तड़पे जो मर बैठा वो भी इंसान क्या होगा ?
बिना अंगार के ए यार कोई घर नहीं जलता ,
कोई अपना कभी अंगार बन बैठे तो क्या होगा ?

Monday, January 3, 2011

माँ भारती: कल का इंतज़ार

माँ भारती: कल का इंतज़ार: "ग़र गर्दिश में हो सितारा तो गम न कर, अपने आप पर जुल्मो-सितम न कर , कल सवेरा होगा,सूरज भी निकलेगा, कुछ न कर बस कल का इंतज़ार तो कर | जब होगा ..."

कल का इंतज़ार

ग़र गर्दिश में हो सितारा तो गम न कर,
अपने आप पर जुल्मो-सितम न कर ,
कल सवेरा होगा,सूरज भी निकलेगा,
कुछ न कर बस कल का इंतज़ार तो कर |
जब होगा कल तो जेब में सितारे होंगे,
कल के दुश्मन आज तुम्हारे सहारे होंगे,
आज ज़र्रा नहीं तो कल आफ़ताब होगा ,
ग़र आज कालिख़ है तो श्रृंगार भी होगा |