"इस सदी के कबीर को मेरी भावभीनी अश्रुपूर्ण श्रद्धांजलि"
अधर से टुटा जो तारा वो सबका ही दुलारा था
क्या मुल्ला वो क्या पंडित सारे जग से न्यारा था ।
न उसका धर्म था कोई न उसकी कोई जाती थी
किया जो कर्म उसने हर तरफ उसकी ही ख्याति थी ।
हुनर उसके यूँ सर चढ़कर कुछ इस कदर बोले
की सारा विश्व नत मस्तक क्या बोलें? क्या बोलें ?
समूचे हिन्द के जो इश्क़ का पर्याय बन गया
कहा जो उसने कभी जो भी समाचार बन गया ।
उठे जो हाथ करोड़ों अंतिम सलामी में उसकी
ज़माना याद रखे उसको जो कलाम बन गया ।