Friday, December 31, 2010

२०१० एक नज़र में

सर्व प्रथम जाते हुए वर्ष की हार्दिक विदाई और आने वाले वर्ष का हार्दिक अभिनन्दन | साल २०१० जानेवाला है लेकिन इसकी यादें हमारे ज़ेहन में आने वाले कई वर्ष तक रहेगी जिसकी बहुत सारी वजहें हैं | २०१० बहुत मायनों में यादगार रहेगा, कुछ उपलब्धियों को लेकर और कुछ दुर्घटनाओं को लेकर, चाहे हम सम्पूर्ण जगत की बात करें या फिर भारतवर्ष की | २०१० की शुरुआत शुक्रवार से हुई अर्थात साल २०१० का पहला दिन शुक्रवार था, संयुक्त राष्ट्र संघ ने इसे जैव विविधताओं और युवाओं का वर्ष घोषित किया |

वर्ष २०१० का पहला दिन यूरोपियन यूनियन के लिये बहुत खास था इस दिन स्पेन ने इसकी बागडोर स्वेडेन के हाथों से ली तो दूसरी तरफ पाकिस्तान में एक वोलीबाल मैच के दौरान एक आत्मघाती हमलावर ने तक़रीबन ९४ लोगों की इहलीला समाप्त कर दी और करीब १०० लोगों को घायल कर दिया | दूसरी तरफ भारत में जनवरी का महीना खासकर उत्तरप्रदेश में यह महीना यातायात हादसों का महीना रहा | इस महीने अकेले उत्तेर्प्रदेश में ६ रेल दुर्घटनाएँ हुईं | इन सब चीजों के अलावा अगर हम उपलब्धियों की बात करें तो विश्व की सबसे ऊँची मानव निर्मित संरचना भी इसी महीने बन कर तैयार हुई " बुर्ज खलीफा " दुबई में ४ जनवरी को मानव द्वारा देखे गये इस सपने को हकीकत का अमली जामा पहनाया गया | साल २०१० के जनवरी के महीने में एक बहुत बड़ी प्राकृतिक आपदा को लोगों ने देखा जो शायद अब तक का सबसे बड़ा प्राकृतिक हादसा था वो था भूकंप जो पोर्ट ऑफ़ स्पेन के हैती शहर में आया और जिसने इस पूरे शहर को ही बर्बाद कर दिया | १२ जनवरी को आये इस भूकंप ने २३०,००० जाने ली और पोर्ट ऑफ़ स्पेन की राजधानी को नैस्तैनाबुद कर दिया | इसी महीने २५ तारीख को एथिओपेअन विमान सेवा का एक विमान मेदीतेरनियन सागर के उपर से गुजरते वक़्त दुर्घटनाग्रस्त हो गया और इस विमान में सफ़र कर रहे ९० लोग काल के गाल में समा गये | फ़रवरी का महीना भी हादसों,आयोजनों और दुर्घटनाओं का मिला जुला महीना था | इस महीने सर्दिओं के ओलंपिक खेल का आयोजन कनाडा के वैंकुवर शहर में आयोजित किया गया अब अगला सर्दियों का ओलंपिक २०१४ में किया जायेगा | मूर्तियों की एक प्रदर्शनी लन्दन में ३ फरवरी को आयोजित की गयी जिसमें ल'होममे कुई मर्चे   जिसे अल्बेरतो गिअकोमेत्ति ने बनाया था १०३.७ मिलिओन यूअस डॉलर में बेचा गया जो अपने आप में एक कृतिमान है | २७ फ़रवरी को फिर लोगों ने प्रकृति का तांडव देखा चिली में इस दिन ८.८ तीव्रता का भूकंप आया जिसकी वजह से प्रशांत महासागर में सुनामी आ गयी और जिसने तक़रीबन ५०० लोगों की जिंदगी ख़तम कर दी, इस भूकंप की तीव्रता अब तक हुए सारे भूकंप से ज्यादा थी | भारत के दृष्टिकोण से भी यह महीना कुछ खुशनुमा नहीं रहा इसी महीने चर्चित जर्मन बेकरी धमाका हुआ जिसमें १७ लोग मारे गए और करीब ६० लोग घायल हुए | इस विस्फोट में लस्कर-ए-तोयबा और इंडियन मुजाहिदीन का हाथ माना गया और अमरीकी-पाकिस्तानी आतंकवादी डेविड हडली को मुख्य अभियुक्त बनाया गया | १६ मार्च को उगांडा के एक मकबरे को आग लगा कर बर्बाद कर दिया गया ये उगांडा का एकमात्र ऐसी कृति थी जिसका शुमार विश्व की सांस्कृतिक धरोहर में था | मार्च का महीना भारत के लिये खट्टा और मीठा दोनों था | हैदराबाद में इंडियन नेवी के एक प्रदर्शन में हुए हादसे की वजह से ३ लोग मारे गए तो प्रतापगढ़ उत्तरप्रदेश में एक मंदिर में मचे भगदड़ के कारण ६० लोगों को जान गवाना पड़ा | इसी महीने सोमालिया के समुद्री लूटेरों ने ८ भारतीय मालवाहक जहाज़ को अगवा कर लिया गया जो इतिहास में इस तरह का सबसे बड़ा हादसा था | इन ८ जहाजों में करीब १२० नाविक मौजूद थे | अप्रैल महीने के १० तारीख को पचिमोत्तर रूस में हुए विमान हादसे में पोलैंड के राष्ट्रपति लेक केज़ियांसकी समेत ९६ लोगों की मृत्यु हो गयी | इसके ठीक ३ दिन बाद यानि १३ तारीख को चीन में फिर भूकंप ने अपना तांडव दिखाया और २००० लोग मौत के मूंह में समा गए, इसी हादसे में १०००० लोग जख्मी हो गए | एक दिन बाद ही आयरलैंड में ज्वालामुखी से राख के निष्पादन की वजह से सम्पूर्ण विश्व की हवाई यातायात अस्त-व्यस्त हो गयी | भारत के लिहाज़ से ये महीना याद रखने वाला था क्योंकि ६-१४ वर्ष की आयू के सभी बच्चों के लिए निःशुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा का कानून बनाया गया | ठीक इसी दिन यानि १ अप्रैल को ही भारत ने अपनी जनगणना का कार्यक्रम शुरू किया | लेकिन फिर से हादसों का सिलसिला शुरु हो गया, ३ अप्रैल को उड़ीसा के कोरापुट में और फिर ६ अप्रैल को दंतेवाडा में लोगों ने नक्सली तांडव देखा और निशाने पर थे पोलिसे बल | दंतेवाडा का कांड तो अपनी तरह का अब तक का सबसे बड़ा कांड था | इस घटना में करीब ७० जवान मारे गए | १५ अप्रैल को भारत ने जी.एस.अल.वी. युक्त अपना पहला सेटेलाईट छोड़ा जो विफल हो गया | मई महीने की शुरुआत ग्रीस के आर्थिक संकट से हुई जिसकी आगाज़ अप्रैल के अंतिम सप्ताह में ही हो गयी थी | २ मई को अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष और यूरोज़ोन ने ग्रीस को ११० बिलिओन यूरो का बेलआउट पैकेज दिया | न्यू योर्क शहर में ४ मई को चित्रों की एक प्रदर्शनी लगी जिसमें नयूड,ग्रीन लीव्स,और बस्ट को १०६.५ मिलिओन अमेरिकी डॉलर में बेचा गया, ये तीनों पाब्लो पिकासो की कृति थी | ये राशी अपने आप में एक कृतिमान   है | मई १२ को लीबिया में त्रिपोली के अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे पर एक विमान हादसा हुआ जिसमें करीब १०० लोगों की मौत हो गयी | ६ मई को मुंबई हमले में एक मात्र जिन्दा पकडे गए आतंकवादी अजमल कसाब को मौत की सजा सुना दी गयी | १९ मई को लैला साइक्लोन की वजह से तमिलनाडु में करीब १०००० लोग प्रभावित हुए | मई २२ को मंगलोर अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे पर एयर इंडिया की उड़ान ८१२ दुर्घटनाग्रस्त हो गयी जिसमें १५८ लोग मारे गए | २८ मई को एक और रेल दुर्घटना हुई जिसमें ज्ञानेश्वरी एक्सप्रेस पटरी से नीचे उतर गयी इस हादसे में २५ लोग मारे गए और १५० लोग दुर्घटनाग्रस्त हो गए | फूटबाल के महाकुम्भ फीफा २०१० का आयोजन साउथ अफ्रीका में २१ जून से लेकर २१ जुलाई तक किया गया जिसका विजेता स्पेन था | भारत में इस महीने यानी जून के ७ तारीख को भोपाल उच्य नयायालय का ऐतिहासिक फैसला आया जिसमें भोपाल गैस कांड के ८ अभियुक्तों को सजा सुनायी गयी, हादसे के २५ साल बाद, भारतीय नयायालय को शत-शत नमन | जुलाई की पहली तारीख को बेल्जियम ने यूरोपियन युनिओन की अध्यक्षता संभाली, पहले इस पद पर स्पेन था | विकिलेअक्स ने २५ जुलाई को अफगानिस्तान  की लडाई में अमेरिकेन जवाबदेही पर ९०००० आंतरिक दस्तावेज़ सार्वजनिक कर दिए | इसी महीने भारत में पाकिस्तान के लिए जासूसी के आरोप में एक भारतीय अधिकारी माधुरी गुप्ता को हिरासत में ले लिया गया | विश्व स्वाश्थ्य संगठन ने १० अगस्त को H1N1 इन्फ़्लुएन्ज़ा महामारी की चेतावनी पूरे विश्व को दे दी | २९ सितम्बर को भारत सरकार ने राष्ट्रीय पहचान पत्र के लिये नंदन नीलकेनी की अध्यक्षता में अभियान शुरू किया, सरकार का कहना है की इससे फर्जीवाड़े पर नियंत्रण किया जा सकेगा | अंतर्राष्टीय मुद्रा कोष की पुनःसंरचना पर G-20 समूह के वित्तमंत्री की बैठक में यह निर्णय लिया गया की विकासशील देशों को ६ फीसदी का अतिरिक्त मत का अधिकार दिया जाये | भारत ने इस महीने राष्ट्रमंडल खेलों का आयोज़न किया जो ३-१४ अक्टूबर तक दिल्ली में था | इस आयोज़न में भारत का प्रदर्शन काफी संतोषजनक रहा | ११-१२ नवम्बर को सओल चीन में G -२० सम्मलेन आयोजित किया गया और ठीक अगले ही दिन यानी १३ नवम्बर को बर्मा की राजनेत्री अंग संग सुकी को रिहा कर दिया गया | २२ नवम्बर को जल महोत्सव की दौरान कम्बोडिया में हुई भगदड़ में तक़रीबन ३४७ लोगों की मौत हो गयी | २९ नवम्बर से १० दिसम्बर तक मेक्सिको में संयुक्त राष्ट्र संघ की जलवायु परिवर्तन पर बैठक रखी गयी | भारत की सुंदरी ने काफी दिनों की बाद फिर परचम लहराया बंगलौर की सुंदरी निकोल फ़रिया ने वियतनाम में आयोजित सौन्दर्य प्रतिस्प्रधा में मिस अर्थ का ख़िताब जीता | ये प्रतियोगिता ५ दिसम्बर को आयोजित की गयी थी |

अंत  में आप सभी पढनेवाले को नव वर्ष की हार्दिक बधाई, आपका नया वर्ष सफल सुखद और मंगलमय हो |
 

Monday, December 27, 2010

कुछ बिखरी कवितायें ...

प्रथम सर्ग -


धरा यह हो गयी ग़मगीन पापों के थपेड़ों से 
गगन अब नम नहीं होता हरे जख्मों को खाकर भी | 
ये मंज़र देख सूरज हर तरफ है आग बरसाता 
मुकुट धरती का मारे शर्म के पानी हुआ जाता ||


दूसरा सर्ग -


जिगर में दो हवा इतनी की बस ये आग हो जाये 
नज़र के सामने जो भी पड़े वो खाक हो जाये | 
भरो बारूद सीने में, नज़र में मौत का मंज़र 
प्रलय की बाहँ मांगे आज सृष्टि का समंदर ||


तीसरा सर्ग -


दुनिया में मेरे दोस्त कुछ मुश्किल नहीं होता | 
जिगर में हो अगर हिम्मत तो ठोकर में जहां होगा | 
कभी खुद को खुदा, सबसे जुदा मान कर देखो | 
कोई भी काम हो कमबख्त कुछ मुश्किल नहीं होगा |


चौथा सर्ग -



"नज़र वीरान हो तो क्यों जुबां खामोश होती है
पतझड़ गुजरने पर ही क्यों बरसात आती है
गुजरता वक़्त ही मेरे जख्म क्यों हर बार भरता है
मोहब्बत दिल से बोलो क्या कभी हर बार होता है
इन बातों का बोलो आज कुछ मतलब निकलता है
कुशल तैराक मेरे दोस्त किनारे पर ही मरता है"

पांचवां सर्ग -

"दिल गया, दौलत गई, जज्बात भी जब मर गये
होश आया, दिल भी संभला , दिन भी यूँ कटने लगे
तब अचानक याद आया कुछ भूल आया में वहां
में वही, दिल भी वही पर अब वो जज्बात कहाँ "

छठा सर्ग -

ज़िन्दगी उगता सवेरा, ज़िन्दगी एक शाम है |
ज़िन्दगी असह्य पीड़ा सहने का ही नाम है ||
चंद लम्हों की ख़ुशी फिर गम का ये सैलाब है |
फिर भी जीने को यहाँ हर कोई बेताब है ||

सातवां सर्ग -

टूटा पत्ता शाख का बोलो कहाँ टिक पता है,
चल रही मलय के साथ वो कही उड़ जाता है |
अपनी मिटटी से उखड़ा मुश्किल से फिर लग पता है ,
दिल भी समझा, देश भी पर फिर भी ये हो जाता है |
मर गये तो मेरी किस्मत, जी गये हरियाली उनकी ,
माँ की छोटी गोद में बच्चा कहाँ सुख पाता है |



Sunday, December 26, 2010

सखी सैयां तो खूब ही कमात है महंगाई डायन...

बिना प्याज के मुख्य भोजन कभी सोचा जा सकता है ? सोच कर देखिये ...नहीं न ,ये तो वही बात हो गयी की बिना तडके की दाल | खैर बात जो भी हो अभी की ताज़ा हालात ये है की प्याज की कीमत आसमान छु रही है | ८०-१०० रुपये किलो प्याज,३०० रुपये किलो लहसन या यूँ कह ले की आम आदमी की मजबूरी का एक और तमाशा |
कल तक हमारा देश अपने पडोशी मुल्कों में प्याज का निर्यात कर रहा था,इस सूची में पाकिस्तान भी है और वो भी काफी सस्ती कीमत पर और आज ये आलम है की इस देश की रसोई से प्याज बाहर हो गया है | इसका जिम्मेदार सिर्फ और सिर्फ हमारी मौजूदा सरकार है, यह सरकार बिना किसी निती के चल रही है और खमयाज़ा जनसाधारण को भुगतना पर रहा है | प्याज की ही बात नहीं बाकि भी मुद्दों पर सरकार का यही हाल है | इस सरकार के पास महंगाई को नियंत्रित करने की कोई तकनीकी नहीं है| २ दिन पहले महंगाई दर १२.१३ फीसदी की थी | यह सरकार सभी मोर्चों पर बुरी तरह विफल साबित हो रही है |
                                                जब हम प्याज की बात कर रहें हैं तो उस पर ही रहें तो ज्यादा बेहतर है | इस प्याज की इस देश के राजनितिक गलियारे में काफी एहमियत है और ये मैं नहीं इतिहास बोलता है | खाने में प्याज की एहमियत और इसकी औसधीय गुण के अलावा इसने भारतीय राजनीति में हमेशा अहम् किरदार निभाया है | १९८० में जनता पार्टी को इसी प्याज की वजह से हार का सामना करना पड़ा था | भारतीय जनता पार्टी की काफी कद्दावर नेता हैं सुषमा स्वराज शायद सभी उनको जानते होंगे, १९८० में दिल्ली के चुनाव में इसी प्याज ने उन्हें हार का मुख दिखाया था, उस वक़्त सब्जियों की कीमत में ६०० फीसदी की उछाल दर्ज की गयी थी | भैरो सिंह शेखावत को राजस्थान में इसी प्याज की वजह से मुहं की खानी पड़ी थी |
                                                पहले तेल की बढ़ी हुई कीमत फिर दूध के बढे हुए दाम और अब सब्जियों की बढ़ी हुई कीमत ने मध्यमवर्ग की कमर ही तोड़ दी है, निम्नवर्ग तो पहले से ही त्राहिमाम है | अगर तुरंत ही इस बढती हुई महंगाई पर अंकुश नहीं लगाया गया तो बहुत मुमकिन है की मनमोहन सिंह की सरकार को इसकी कीमत चुकानी पड़ेगी | क्योंकि ये आम आदमी से जुड़ा मुद्दा है, आम आदमी की आंसू से जुड़ा मुद्दा है और आम आदमी की क्या एहमियत है ये तो सारे राजनितिक दल जानते हैं, शायद मनमोहन सिंह जी भी इस बात से वाकिफ हों |


एक बार इस सूची को अवश्य पढ़ें ...

कांग्रेस के राज़ में हुये घोटालों की पूरी सूची :-

१.बीमा घोटाला
२.टेलिकॉम घोटाला (सुख राम)
३.HDW सबमरीन घोटाला
४.बिटुमेन घोटाला
५.तांसी ज़मीन घोटाला
६.सिकुरिटी घोटाला
७.JMM सांसद की खरीद का घोटाला
८.संत किट्स केस
९.यूरिया घोटाला
१०.CRB घोटाला
११.अनंतनाग ट्रांसपोर्ट घोटाला
१२.१९७१ नागरवाला घोटाला
१३.चारा घोटाला
१४.चुरहट लोटरी घोटाला
१५.बोफोर्स घोटाला (१९९०)
१६.अनिमल हसबेंडरी केस (१९९०)
१७.बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज घोटाला
१८.हवाला घोटाला (१९९३)
१९.बंगलोर-मैसूर कोर्रिडोर (१९९५)
२०.सुख राम घोटाला (१९९६)
२१.बिहार का चारा घोटाला (१९९६)
२२.केरला SNC लवलीन पॉवर घोटाला(९७)
२३.होम ट्रेड
२४.केतन पारेख घोटाला,
२५.बराक मिसाइल डील घोटाला,
२६.तहेलका घोटाला (२००१)
२७.UTI घोटाला
२८.ताज कोर्रिडोर केस (२००२–२००३)
२९.तेलगी  घोटाला(२००३)
३०.DSQ सॉफ्टवेर घोटाला
३१.IPO घोटाला - कर्वी
३२.खाना के बदले तेल कार्यक्रम घोटाला  (नटवर) (०५)
३३.मानव तस्करी घोटाला  (बाबुभाई  कटारा)
३४.वोट के लिये नोट का घोटाला
३५.सत्यम घोटाला
३६.2G स्पेक्ट्रम घोटाला - २००८
३७.मधु कोड़ा- ४००० करोड
३८.नरेगा  घोटाला
३९.CWG घोटाला
४०.आदर्श सोसाइटी घोटाला  

Saturday, December 25, 2010

By Mr. Dushyant Kumar

ये जो शहतीर है पलकों पे उठा लो यारो
अब कोई ऐसा तरीका भी निकालो यारो

दर्दे—दिल वक़्त पे पैग़ाम भी पहुँचाएगा
इस क़बूतर को ज़रा प्यार से पालो यारो

लोग हाथों में लिए बैठे हैं अपने पिंजरे
आज सैयाद को महफ़िल में बुला लो यारो

आज सीवन को उधेड़ो तो ज़रा देखेंगे
आज संदूक से वो ख़त तो निकालो यारो

रहनुमाओं की अदाओं पे फ़िदा है दुनिया
इस बहकती हुई दुनिया को सँभालो यारो

कैसे आकाश में सूराख़ हो नहीं सकता
एक पत्थर तो तबीयत से उछालो यारो

लोग कहते थे कि ये बात नहीं कहने की
तुमने कह दी है तो कहने की सज़ा लो यारो

लॉन्ग लिव यु.पी.ए.

हम यु.पी.ए. की सरकार को क्यों पसंद करते हैं ? इसकी १० वजह में आपको देता हूँ -

१. 2G स्पेक्ट्रम घोटाला - १.७६ लाख करोड़
२. राष्ट्रमंडल खेल घोटाला - ७०००० करोड़
३.  तेलगी स्टाम्प घोटाला - २०००० करोड़
४. सत्यम घोटाला - १४००० करोड़
५. बोफोर्स घोटाला - $ १६ मिलियोन
६. चारा घोटाला - ९०० करोड़
७. हवाला घोटाला - $ १८ मिलीओन
८. IPL घोटाला - राशि की उद्घोषणा होनी अभी बाकि है ...
९ और १०. हर्षद मेहता और केतन पारीख का स्टॉक मार्केट घोटाला - ५००० करोड़

यु.पी.ए.(युनिवेर्सली पोल्लयूटेद अलाएंस ) .....३ चीयर्स उनके लिए |

क्या उन्हें भारत रत्न मिलना चाहिये ?

एक महान खिलाडी हैं सचिन तेंदुलकर,क्रिकेट खेलते हैं, वो भी ऐसे देश में जहां लोग बस दो चीजों को जानते हैं - एक क्रिकेट और दूसरा बॉलीवुड | वैसे इसी क्रिकेट की वजह से इस देश में बाकि खेल उपेक्षित रह गये | खैर बात जो भी हो हमारा मुद्दा उनकी शख्सियत है उनका खेल नहीं | भारत देश में क्रिकेट एक धर्म है और में यह कोई नई बात नहीं कह रहा हूँ और इस धर्म के भगवन सचिन तेंदुलकर हैं | यह ओहदा उन्हें यहाँ के लोगों ने और इस खेल के जानकारों ने दिया है |
ऐसा नहीं है की वो ऐसे पहले खिलाडी हैं जिनमें बहुत अधिक प्रतिभा है ऐसे बहुतेरे खिलाडी आपको इस देश में मिल जायेंगे और हमेशा से मौजूद रहें हैं अगर हम क्रिकेट की ही बात करें तो इस सूची में विश्वनाथ,बेदी,कपिलदेव,गावस्कर,गांगुली,कुंबले,द्रविड़ और न जाने कितने प्रथिभावान खिलाडी दर्ज हैं | जो बातें  उन्हें इन सब से अलग करती है उसकी भी एक लम्बी सूची है - ये वो करिश्माई शख्स हैं जिनका करिश्मा पूरा ब्रम्हांड पिछले २१ वर्षों से निरंतर देख रहा है,ये वो शख्स हैं जिनके नाम पर उपलब्धियों का पूरा हिमालय है,पर इन सब से अलग वो एक जिम्मेदार इंसान हैं, एक अनुशासित पुरुष हैं |
                                                           उनकी उप्लाब्दियों की लम्बाई इतनी ज्यादा है की हिमालय बौना लगता है पर शख्सियत ऐसी जिसको घमंड कभी छु नहीं पाया |  इस खेल में इतना धन और इतनी लोकप्रियता है की अच्छे-से-अच्छा इंसान डगमगा जाये और ऐसा होता है होता आया है और आगे भी होता रहेगा और बहुत उदाहरण तो आप लोगों के पास भी होंगे परन्तु वो भगवान् क्या जो इस गर्त में गिर जाये दुनिया उन्हें ऐसे ही क्रिकेट का भगवान् नहीं कहती |
                                                          अभी हाल ही की एक बात है एक शराब बनानेवाली कंपनी ने अपने उत्पाद के विज्ञापन के लिये उन्हें लेना चाहा और इसकी एवज़ में २० करोड़ की पेशकश उनको की गयी | दुनिया जानती है की ये " दिल मांगे मोर " का जमाना है और इस दौर में इस पेशकश को ठुकराना तथाकथित अक्लमंदों के अनुसार बेवकूफी है | भगवान् तो भगवान् हैं वो न आज तक गलत हुए हैं न आगे होंगें और ऐसा मेरे साथ-साथ सारी दुनिया को लगता है | उन्होनें इस पेशकश को ठुकरा दिया और इस निर्णय के पीछे उनकी सोच थी | वो जानते हैं की उनकी शख्सियत,उनका निर्णय इस देश और इस देश के लोगों के लिये कितना अहम् है | एक पूरी फौज है जो उनकी तरह बनना चाहती है,वो लाख़ों लोगों के लिये रोल मॉडल हैं और वो लोग अगर अपने हीरो को शराब के विज्ञापन में देखेगे तो एक गलत मेसेज जायेगा |
                                                           उनकी यही सोच उन्हें औरों से अलग करती है | उन्हें समाज के प्रति अपना दायित्व पता है और वो हमेशा उसे पूरा करने की सोचते हैं | वैसे बात उस शराब के विज्ञापन की चल रही है तो मैं आपको बता दूँ मौजूदा भारतीय क्रिकेट टीम के कुछ सदस्यों ने उस पेशकश को कुबूल कर लिया है और बहुत जल्द आप उन्हें अपने टेलीविज़न पर देख पायेंगे |

                                                         ये कुछ तथ्य मैं आपके सामने इस लिये रख रहा हूँ की आप उनकी शख्सियत को समझें और फिर इस प्रश्न का उत्तर दें की क्या उन्हें "भारत रत्न" मिलना चाहिये ? क्योंकि अब यह भी एक चर्चा का विषय है |
  

माँ भारती पुकारती ....

एक देश है जो बहुत पहले सोने की चिड़ियाँ के नाम से जाना जाता था | अंग्रेज़ आये सौदागर के शक्ल में और उन्होनें इस देश के साथ यहाँ की जनता को ही खरीद लिया जिसकी दास्तान सुनाने वाले अभी भी सैकड़ों इमारत और दस्तावेज़ मौजूद हैं | अंग्रेज़ आये और उन्होनें इस देश को भरपेट लूटा इतना की कभी सोने की चिड़ियाँ कहलानेवाला यह देश बस चिड़ियाँ ही रह गया | देश आज़ाद हुआ, एक आस जगी की अब नया सवेरा होगा, देश तरक्की करेगा, लोग खुशहाल होगें | सोचा तो बहुत था मैने भी और इस देश की जनता ने भी...की अब अपने लोग के हाथ में सत्ता है, बहुत तरक्की होगी पर आज़ादी के पहले जो परिवार देश के प्रति इतना संजीदा था उसने आज़ादी मिलते ही रंग दिखाना शुरू कर दिया | हमारी गलती थी आज़ादी के उन्माद में  हम वो नहीं देख पाये जो उन्होनें उसी वक़्त से दिखाना शुरु कर दिया था |खैर जो भी हो आज़ादी मिली,अपना शासन आया और सत्ता के इन स्वर्थालोलूप शासकों ने रंग दिखाना शुरू कर दिया |
बहुत पहले जो सोने की चिड़ियाँ थी और जिसे अंग्रेजों ने बस चिड़ियाँ रख छोड़ा था अब इन देशी शासकों ने उसके पंख भी नोचने शुरु कर दिये और ये सिलसिला बदस्तूर अभी तक जारी है |
                           हम माँ भारती की संतान क्या इतने मजबूर हैं की हम अपने लोगों का विरोध भी नहीं कर सकते हैं, जो गलत हैं, जो नकारे हैं, जो लोभी हैं, जो दम्भी हैं और जो दरिन्दे हैं जिन्हें सिर्फ और सिर्फ अपने आप से मतलब है ? मेरा मन तो ये नहीं मानता है की हममें वो साहस नहीं बचा पर में ये जरूर मानता हूँ की हम स्वार्थी हो गये हैं, हम सिमट गये हैं, हमें अपने आप से मतलब रह गया है; हमें न रिश्तेदारों की फिक्र है, न पड़ोशियों की और न समाज की देश तो खैर बहुत दूर की बात है |
                          हम कब जागेंगे ? कब ? जब हमारे पास बचाने को कुछ बचेगा ही नहीं,या तब जब हमारे जागे रहने और सोये रहने से कुछ बदलनेवाला नहीं होगा | में अपने आप से और आप सब से ये अपील करता हूँ " जाग जाओ ये हिन्दुस्तान वालों वरना सोये ही मर जाओगे " |