कल तक हमारा देश अपने पडोशी मुल्कों में प्याज का निर्यात कर रहा था,इस सूची में पाकिस्तान भी है और वो भी काफी सस्ती कीमत पर और आज ये आलम है की इस देश की रसोई से प्याज बाहर हो गया है | इसका जिम्मेदार सिर्फ और सिर्फ हमारी मौजूदा सरकार है, यह सरकार बिना किसी निती के चल रही है और खमयाज़ा जनसाधारण को भुगतना पर रहा है | प्याज की ही बात नहीं बाकि भी मुद्दों पर सरकार का यही हाल है | इस सरकार के पास महंगाई को नियंत्रित करने की कोई तकनीकी नहीं है| २ दिन पहले महंगाई दर १२.१३ फीसदी की थी | यह सरकार सभी मोर्चों पर बुरी तरह विफल साबित हो रही है |
जब हम प्याज की बात कर रहें हैं तो उस पर ही रहें तो ज्यादा बेहतर है | इस प्याज की इस देश के राजनितिक गलियारे में काफी एहमियत है और ये मैं नहीं इतिहास बोलता है | खाने में प्याज की एहमियत और इसकी औसधीय गुण के अलावा इसने भारतीय राजनीति में हमेशा अहम् किरदार निभाया है | १९८० में जनता पार्टी को इसी प्याज की वजह से हार का सामना करना पड़ा था | भारतीय जनता पार्टी की काफी कद्दावर नेता हैं सुषमा स्वराज शायद सभी उनको जानते होंगे, १९८० में दिल्ली के चुनाव में इसी प्याज ने उन्हें हार का मुख दिखाया था, उस वक़्त सब्जियों की कीमत में ६०० फीसदी की उछाल दर्ज की गयी थी | भैरो सिंह शेखावत को राजस्थान में इसी प्याज की वजह से मुहं की खानी पड़ी थी |
पहले तेल की बढ़ी हुई कीमत फिर दूध के बढे हुए दाम और अब सब्जियों की बढ़ी हुई कीमत ने मध्यमवर्ग की कमर ही तोड़ दी है, निम्नवर्ग तो पहले से ही त्राहिमाम है | अगर तुरंत ही इस बढती हुई महंगाई पर अंकुश नहीं लगाया गया तो बहुत मुमकिन है की मनमोहन सिंह की सरकार को इसकी कीमत चुकानी पड़ेगी | क्योंकि ये आम आदमी से जुड़ा मुद्दा है, आम आदमी की आंसू से जुड़ा मुद्दा है और आम आदमी की क्या एहमियत है ये तो सारे राजनितिक दल जानते हैं, शायद मनमोहन सिंह जी भी इस बात से वाकिफ हों |
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