धरती के ऐसे लाल कहाँ दुनिया में ऐसे मिलते हैं,
बस एक तिरंगे की खातिर सर्वश्व समर्पण करते हैं |
न कोई तिलक न कोई सुभाष दुनिया को मिल पाया है,
स्वर्श्व समर्पण करने को कोई भगत नहीं आया है |
माँ भारती तेरा अहो भाग्य ऐसे सपूत कण-कण में हैं,
दिल-ओ-जान लुटाने का जज्बा तेरे बेटे लिये नयन में हैं|
तेरा एक आँसूं काफी है दुनिया को आग लगा देगें,
कोई दामन को बस छु भर ले हम अपना शीश चढ़ा देंगें |