Monday, January 10, 2011

कसक सीने की ...

बड़े अरमान इस दिल में चाहे तुम हो या की हम,
जो शिद्दत से मिला था यार वो मुड़ जाये क्या होगा ?
मय्यसर नहीं सबको वो सारे ख्वाब वो सपने ,
कोई प्यासा नदी के सामने मर जाये क्या होगा ?
इन्ही नज़रों से ए साथी समझना सबको पड़ता है,
जो होठों से कहा जाये तो वो ज़ज्बात क्या होगा ?
जुब़ा महसूस करती है बयां आँखों से होता है ,
जो होठों से कहा जाये तो वो ज़ज्बात क्या होगा ?
लगे सीने के जख्मों पर ये दिल मायूस होता है ,
बिना बोले जो हो महसूस वो एहसास क्या होगा ?
तड़पना है सभी को इस धरा पर चाहे नर मादा ,
बिना तड़पे जो मर बैठा वो भी इंसान क्या होगा ?
बिना अंगार के ए यार कोई घर नहीं जलता ,
कोई अपना कभी अंगार बन बैठे तो क्या होगा ?

6 comments:

  1. प्रिय बंधुवर राहुल सिंह जी
    अभिवादन !

    इन्ही नज़रों से ए साथी समझना सबको पड़ता है,
    जो होठों से कहा जाये तो वो जज़्बात क्या होगा ?


    अच्छे जज़्बात पेश किए हैं … वाह !


    ~*~नव वर्ष २०११ के लिए हार्दिक मंगलकामनाएं !~*~

    शुभकामनाओं सहित
    - राजेन्द्र स्वर्णकार

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  2. इन्ही नज़रों से ए साथी समझना सबको पड़ता है,
    जो होठों से कहा जाये तो वो ज़ज्बात क्या होगा ?

    बहुत ही सुन्दर अभिव्यक्ति. आभार

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  3. मय्यसर नहीं सबको वो सारे ख्वाब वो सपने ,
    कोई प्यासा नदी के सामने मर जाये क्या होगा
    बेहद उम्दा रचना। जारी रखिए

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  4. धन्यवाद आप सभी का,आगे भी ऐसी ही हौसला अफजाई की उम्मीद रखता हूँ, आप सभी को नव वर्ष की हार्दिक बधाई और शुभकामना |

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  5. कोई प्यासा नदी के सामने मर जाये क्या होगा ?

    बहुत गहरा प्रश्न किया है आपने ..

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  6. Awesome, All the lines are with deep meaning , Loved all the lines

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