Thursday, October 20, 2011

बरसों का बिछड़ा प्यार ...



बरसों का बिछड़ा प्यार...

बेजान पड़ी सुखी टहनी भी
हरी भरी हो जाती है,
बारिश की पहली बूँद का
पुरजोर असर होता है |
बरसों का बिछडा प्यार मिले
तो यार गजब होता है |


ओस की वो बूँद, कोहरे की वो धुंध;
सब नया नया लगता है |
वही पुराना चाँद फिर आँखों में जँचता है |
बरसों का बिछड़ा प्यार मिले
तो यार गजब लगता है |


बारिश की वो बूँद फिर मोती से
लगने लगते हैं ...
वीराने सीने में फिर
अरमान सुलगने लगते हैं |
आँखों में सारी रात
करवटों में दिन होता है |
बरसों का बिछड़ा प्यार मिले
तो यार गजब लगता है |


शहनाई बजने लगती है,
फिर समां पिघलने लगता है |
हार रात दिवाली लगती है,
हर दिन आँखों में सजता है |
बरसों का बिछड़ा प्यार मिले
तो यार गजब ही लगता है |

1 comment:

  1. hmmsahi main dil bhar aata hai :) pyaar sab kuch deta hai ;)

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