Saturday, November 3, 2018

एक सोच


हिन्दू को हिन्दू रहने दो,
मुसलमान को मुसलमान |
सबका अपना वज़ूद है,
अलग रंग, तहज़ीब और ईमान
क्यों घर वापसी करा रहे हो ??
क्यों सबको मिला रहे हो ??
मिला दिया तो घनघोर स्याह काला हो जायेगा
वो इंद्रधनुष कही खो जायेगा
वही जिसे देख कर सुकून मिलता है,
हर एक विशाल का दोस्त कोई ज़हीर होता है |
क्या परेशानी है ?? कैसी मुश्किल है ??
गर कोई खान गणपति बिठाता है,
कोई सिंह रोज़ा निभाता है |
बरसों पुरानी गंगा जमुनी तहज़ीब है अपनी
समेटो मत, इसे खुल कर बिखरने दो
सब अपने है यार सबको निखरने दो |


3 comments:

  1. सच है कहना पर इतना पानी निकल चुका है पुल के नीचे से की अब बात आसान नहीं लगती ... पर काश ये हो सके ...

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  2. आपके अंदर का क्षोभ में महसूस कर सकता हूँ | दीपावली की शुभकामनायें और बधाई आपको |

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  3. आपकी इस पोस्ट को आज की बुलेटिन धन्वन्तरि दिवस, धनतेरस और ब्लॉग बुलेटिन में शामिल किया गया है। कृपया एक बार आकर हमारा मान ज़रूर बढ़ाएं,,, सादर .... आभार।।

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