मिट्टी की सौंधी खुशबू का कोई मोल नहीं होता,
क्षण में जो मिल जाये यूँ ही वह अनमोल नहीं होता |
छोटा बिम्ब हिमालय का सूरज का तेज बताता है,
किन्तु हिमालय की चोटी को हर कोई भेद नहीं पाता |
द्रोणाचार्य धरा पर यारों देखो यहाँ वहाँ मिलता,
पर कमबख्त दुहाई देखो कोई कर्ण नहीं मिलता |
श्रेष्ठ नहीं वह जिसके उपर कोई श्रेष्ठ नहीं होता,
श्रेष्ठ वही है जिसके नीचे सर्वश्रेष्ठ पड़ा होता |
द्रोणाचार्य धरा पर यारों देखो यहाँ वहाँ मिलता,
ReplyDeleteपर कमबख्त दुहाई देखो कोई कर्ण नहीं मिलता
सही कहा आपने कर्ण नहीं मिला अच्छी लगी रचना
aakhiri 2 line gazab ki hain....superlike
ReplyDeleteअच्छी रचना।
ReplyDeleteगहरे भाव।
बधाई हो।
......
ReplyDeleteरचना जरा सी और स्पष्टता मांगती है और शायद विस्तार भी...भावों की संपूर्ण झलक देने हेतु....
ReplyDeleteसलाह मात्र है, अन्यथा न लें. अनेक शुभकामनाएँ मित्र.
आप सभी को बहुत-बहुत धन्यवाद.@उड़न तश्तरी महोदय,आपकी सलाह के लिए धन्यवाद,में निश्चय ही कोशिश करूँगा की रचना में थोड़ी स्पष्टता ला सकूँ,एक बार पुनः आप लोगों का धन्यवाद |
ReplyDelete